नवंबर 1917 की महान अक्तूबर क्रांति, मानवता के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण जीतों में से एक है। इसने सबसे बर्बर और पिछड़े शासन को उखाड़ फेंका और जो तब तक के सबसे उत्पीड़ित और शोषित वर्गों, मज़दूरों और किसानों को सत्ता में लाई। इसने इतिहास के सबसे ख़तरनाक युद्धों में से एक - पहले विश्व युद्ध को समाप्त किया और रूस की श्रमजीवी जनता को शांति प्रदान की।

अक्तूबर क्रांति ने पूंजीवादी राज्य के तंत्र को उसकी जड़ों से चूर-चूर कर दिया। पूंजीवादी राज्य की जगह पर उसने एक नया राज्य स्थापित किया - एक सोवियत राज्य जो मज़दूर वर्ग की अगुवाई में मजदूरों-किसानों के राज का तंत्र था। मानव इतिहास में पहली बार, समाज की सम्पत्ति पैदा करने वाले, उसके मालिक बने और इस वर्ग ने सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) के नेतृत्व में एक समाजवादी समाज की स्थापना की, जिसने इंसान द्वारा इंसान के सभी प्रकार के शोषण को समाप्त कर दिया। ऐसा नया समाज सभी श्रमजीवी लोगों को सुख और सुरक्षा देने में सक्षम था।
विशेषाधिकार प्राप्त और अत्यधिक वेतन पाने वाले नौकरशाहों की जगह पर नागरिक सेवकों को लाया गया। ये सेवक वापस बुलाये जाने के अधीन थे और उन्हें कुशल श्रमिकों जितना ही वेतन मिलता था। परजीवी जार की सेना की जगह लाल सेना को स्थापित किया गया, जो शोषकों को उखाड़ फेंकने के क्रांतिकारी संघर्ष के दौरान उभरी और मज़बूत हुई थी। नागरिक सेवक और सैनिक सोवियतों की सर्व-रूसी कांग्रेस के अधीन थे। रूस में पूरी तरह से क्रांतिकारी बदलाव आया और हर चीज को आधुनिकीकृत किया गया। सोवियत संघ का गठन समान और स्वतंत्र राष्ट्रों के स्वेच्छापूर्वक संघ के रूप में किया गया। शोषकों के प्रतिरोध को कुचलने और शोषण के सभी रूपों को ख़त्म करने के एक तंत्र बतौर, सोवियत राज्य श्रमजीवी वर्ग के अधिनायकत्व के एक विशिष्ट रूप में उभरा।
अक्तूबर क्रांति ने दुनियाभर के लोगों को प्रेरित किया जिनमें शामिल थे दमनकारी उपनिवेशवादी कब्जे़ से अपनी मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे लोग और सभी देशों के मज़दूर जो अपने देश में पूंजीपतियों के खि़लाफ़ संघर्ष कर रहे थे। दुनिया को हिलाकर रख देने वाली इस क्रांति ने अनगिनत लोगों को इस मार्ग पर चलने के लिये प्रेरित किया।
बोल्शेविक पार्टी के अनुकरणीय नेतृत्व की वजह से ही महान अक्तूबर क्रांति की विजय हुई। पूंजीवाद को उखाड़ फेंकने और समाजवाद स्थापित करने के अपने उद्देश्य के हित में, कामरेड लेनिन के नेतृत्व में इस पार्टी ने हर क़दम पर सैद्धांतिक आधार पर सबसे मुश्किल फैसले लिए। यह बोल्शेविक पार्टी ही थी जो क्रांतिकारी चेतना और संगठन बनाने में सफल रही, जिसके ज़रिये मज़दूर वर्ग ने शोषकों को उखाड़ फेंका और रूस का शासक वर्ग बन सका। श्रमजीवियों ने अपने शोषकों के शासन को पूरी तरह से ख़त्म करने में सफलता पाई, क्योंकि वे एक विशाल शक्ति बनकर पार्टी द्वारा दी गई दिशा पर चल पड़े।
हम ऐसे समय पर इस क्रांति की 101वीं वर्षगांठ को चिन्हित कर रहे हैं जब दुनिया के साम्राज्यवादी जंगफरोश रास्ता अपना रहे हैं। उन्होंने कई देशों में हिंसा और अराजकता फैलायी है, जिससे हजारों लोगों की मौत हुई है और लाखों लोग बेघर हुए हैं। साम्राज्यवादी शक्तियों के बीच तथा साम्राज्यवाद और दुनिया के लोगों के बीच परस्पर विरोध तेज़ हो रहे हैं। अक्तूबर क्रांति की पूर्व संध्या पर भी इसी प्रकार की स्थिति थी।
हमारे देश में, लोग अपने जीवन और आजीविका पर सब तरफा हमलों का सामना करते हुये जीवन-मरण का संघर्ष कर रहे हैं। बड़े सरमायदारों की अगुवाई में शोषकों और मज़दूर वर्ग की अगुवाई में शोषित जनता के बीच अंतर्विरोध अधिक तीव्र हो रहा है। एक तरफ बहुसंख्य जनता है जो दर्दनाक परिस्थितियों में रह रही है, जबकि दूसरी तरफ, कुलीन अल्पसंख्यक हैं जो दुनिया के अरबपतियों में गिने जाते हैं। यह अल्पसंख्यक समाज के सभी अन्य लोगों को कुचल रहा है और देश की संपत्ति को लूट रहा है। ऐसी स्थिति में, मज़दूर वर्ग और किसान अपने अधिकारों की रक्षा में बढ़-चढ़कर सड़कों पर उतर रहे हैं और समाज की दिशा तय करने में, निर्णायक भूमिक अदा करने की मांग रहे हैं। वे गहरे संकट में फंसी मौजूदा आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे हैं।
इस तरह का बदलाव बुनियादी होना चाहिए। हिन्दोस्तानी समाज को पूंजीवाद, साम्राज्यवाद, उपनिवेशवादी विरासत और सामंतवाद के अवशेषों से मुक्त होना होगा। हिन्दोस्तानी समाज का पूरी तरह से नव-निर्माण करना पड़ेगा। इस क्रांतिकारी परिवर्तन को लाने के लिये संघर्षरत मज़दूर वर्ग, किसानों और सभी उत्पीड़ितों को अगुवा हिरावल कम्युनिस्ट पार्टी को क्रांतिकारी नेतृत्व देना होगा। हिरावल कम्युनिस्ट पार्टी को माक्र्सवाद-लेनिनवाद के विज्ञान से लैस होना होगा और हिन्दोस्तान में आज की परिस्थिति में इस विज्ञान को लागू करना होगा। यही अक्तूबर क्रांति का सबक है। जैसा कि लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने उस समय किया था, वैसे ही कम्युनिस्ट अगुवा दस्ते को वर्तमान स्थिति को समझते हुए अपने अनुभव के आधार पर हिन्दोस्तान को संकट से बाहर निकालने का रास्ता दर्शाना है।
हमें इतिहास से वे सबक लेने होंगे जो हमें वर्तमान समय में हिन्दोस्तान में क्रांति की जीत के लिए परिस्थिति बनाने में मददगार होंगे। हिन्दोस्तान की धरती पर श्रमजीवी वर्ग का अधिनायकत्व स्थापित करना, हिन्दोस्तानी कम्युनिस्टों तथा हिन्दोस्तानी मज़दूर वर्ग और किसानों के लिए महान अक्तूबर क्रांति का यही महत्व है।
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